matlabi insan





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बेजुबान जानवर नहीं 
बेदिमाग आदमी है
तरक्की कर ली है बहुत 
फिर भी प्रकृति ये साथ नहीं है
दिन प्रतिदिन ऐसी तस्वीरें सामने आ रहीं है
कभी रेप तो कभी बेजुबां की जान जा रही है
ए इंसान कब तक तू सुधरेगा
वादे झूठे करके कब तक तू मुकरेगा
ए इंसान तुझसे मतलबी नहीं यहां कोई प्राणी
अपने मतलब के लिए कितने बेकसूरों की जान ली
अबकी बार तो रब ने भी है ठानी
2020 में लिखी नई एक कहानी

कोरोना ये तूफान सब अंजाम ये सही है
प्रकृति से खिलवाड़ की सज़ा ही यही है
बेजुबां जानवरों की भी रब ने सुनी है
2020 में जो हो रहा हुआ बिल्कुल सही है
बिल्कुल सही है
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